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किसानों की 285 वीं ऑनलाइन किसान पंचायत सम्पन्न--27 सितंबर को भारत बंद के लिए सभी जिलो में गठित की जा रही संयुक्त किसान मोर्चा समितियां

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न्यूज़रूम सिवनी--सँयुक्त किसान मोर्चा के अहं घटक किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित किसानों की 285वीं ऑनलाइन किसान पंचायत सम्पन्न हुई। किसान पंचायत को प्रदेश के विभिन्न किसान व मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने संबोधित किया।

      सँयुक्त किसान मोर्चा के जिला प्रवक्ता राजेश पटेल ने बताया कि किसान आंदोलन दुनिया का सबसे बड़ा, बहुचर्चित और अहिंसक आंदोलन है। जिसकी बुनियाद नव उदारीकरण के खिलाफ आंदोलन में प्रथम आहुति देने वालों में मुलताई के किसानों के योगदान को देश मे भुलाया नही जा सकता।मध्यप्रदेश में  सरकार के प्रति किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। नए कृषि कानून के आने के बाद प्रदेश में 49 मंडिया बंद हो गई । 64% मंडियों की आय जिससे मंडी के कर्मचारियों को छह -छह माह का वेतन नहीं मिला  है। लाखों हमालों का रोजगार भी संकट में है। मंडियां खत्म होने से करीब पंद्रह हजार कर्मचारियों का रोजगार भी संकट में है। सरकार को  सरकारी कृषि मंडियों में मूलभूत सुविधाएं देने की आवश्यकता थी लेकिन मंडियों को सुधारने की बजाय नई निजी मंडीयाँ खोलने का कानून ला दिया है। निजी मंडी के आने के बाद सरकारी मंडियां स्वतः ही खत्म हो जाऐगी। नए कृषि कानून  किसानों के लिए डेथ वारंट से कम नही है। 

         मध्य प्रदेश के किसानों द्वारा चालू वित्तवर्ष में 10 लाख मीट्रिक टन मूंग  पैदा की गई और सिर्फ सवा लाख मीट्रिक टन  ही सरकार ने एमएसपी पर खरीदी है। बाकी की मूंग मजबूरन औने पौने दामों पर व्यापारियों को बेचना पड़ा । एक तरफ मंडी खत्म हो रही है, दूसरी तरफ किसानों की लूट जारी है। 

      केंद्र सरकार ने किसानों को 21,000 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी को आधा करने का निर्णय लिया है। अभी किसानों को एक हार्स पावर का बिजली बिल 700 रूपये देना होता था लेकिन अब बढ़ाकर 15,00 रुपए कर दिया गया है,उसके बाद 500 रूपये प्रति हॉर्स पावर देना होगा।  बिजली बिल वसूली के नाम पर किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार भू-माफिया, शराब माफिया को संरक्षण दे रही है। किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि शांति और अहिंसा से चल रहे आंदोलन की गरिमा बनाए रखते हुए 27 सितंबर को भारत बंद किया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों में अलग अलग संगठनों से चर्चा कर संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समितियां गठित की जा रही है।

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 सुप्रीम कोर्ट के तीनों कृषि कानून को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने के बावजूद मध्यप्रदेश में सिवनी होशंगाबाद, इंदौर, धामनोद , देवास, सहित प्रदेश के कई किसान ठगी के शिकार हुए हैं। किसानों की उपज लेकर व्यापारी भाग जाते हैं लेकिन सरकार लूट की जांच तथा भुगतान करने का झूठा वादा करती है। कृषि कानून के आने के पहले और बाद में भी किसानों की लूट जारी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा भी किसानों कू लिए छलावा साबित हुई है । किसानों से बीमा की प्रीमियम तो ली जाती है लेकिन नुकसान होने पर भी दावा राशि नही दी जाती जिससे किसानों की फसल बीमा के प्रति रूची कम हो गई है।

        कर्जा मुक्ति और पूरा दाम तथा सभी उत्पादों की खरीद की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन की रिपोर्ट के मुताबिक लागत का डेढ़ गुना दाम की मांग की हम जो लड़ाई लड़ रहे थे उसके खिलाफ सरकार ने 3 नए कृषि कानून लाकर हमें एक और नई लड़ाई में झोंक दिया है, जबकि देश के किसानों ने यह तीनों कृषि कानून कभी मांगे ही नहीं थे। किसानों के लिए उपज भंडारण की कोई सीमा नहीं थी, सीमित भंडारण का कानून व्यापारियों पर लागू था लेकिन नए कृषि कानून के आने के बाद व्यापारियों को भंडारण की खुली छूट मिल गई जिससे बाजार में तेजी आ गई परिणामस्वरूप तेल और दाल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई मजबूरन सरकार को दो कदम पिछे हटकर भंडारण की छूट पर प्रतिबंध लगाना पड़ा।

        किसान पंचायत का संचालन किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष  एड. आराधना भार्गव ने किया। किसान पंचायत को किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम, अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष जसविंदर सिंह, एआईकेकेएमएस के प्रदीप आरबी, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के उपाध्यक्ष राहुल राज, भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप ठाकुर, किसान संघर्ष समिति के ग्वालियर-चंबल संभाग संयोजक विश्वजीत रतौनिया, किसान संघर्ष समिति इंदौर संभाग के संयोजक रामस्वरूप मंत्री,  प्रदेश सचिव एड. रायसिंह,  डॉ. राजकुमार सनोडिया, श्रीराम सेन, इंद्रजीत सिंह , छिंदवाड़ा से किसंस के जिलाध्यक्ष डॉ विजय बिजौलिया, सागर से जिलाध्यक्ष अभीनय श्रीवास, महामंत्री भागवत परिहार जबलपुर संभाग के सयोंजक राजेश पटेल ने संबोधित किया। बहुजन संवाद के फेस बुक पेज यूट्यूब चैनल पर कार्यक्रम देखा जा सकते।

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anil_jangre


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