न्यूज़रूम समाचार:– ईरानी अधिकारियों का कहना है कि रविवार को हुए हमले में ईरान के सबसे अहम परमाणु केंद्र की हज़ारों मशीनें या तो ख़राब हो गई हैं या बर्बाद हो गई हैं। ईरानी संसद के रिसर्च सेंटर के प्रमुख अलिरेज़ा ज़कानी ने कहा है कि इस घटना से ईरान की परमाणु सामग्री को परिशोधित करने की क्षमता समाप्त हो गई है.
एक अन्य अधिकारी ने बताया है कि नतांज परमाणु केंद्र के जिस हिस्से पर ये हमला हुआ है वो ज़मीन से पचास मीटर नीचे है. ईरान ने इस हमले को 'परमाणु आतंकवाद' बताते हुए इसराइल को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया है.
वहीं इसराइल ने अपनी भूमिका की ना ही पुष्टि की है और न ही इसका खंडन किया है. लेकिन इसराइल के सरकारी रेडियो पर ख़ुफ़िया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये इसराइल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद का एक ऑपरेशन था. ईरान का कहना है कि वो प्रभावित सेंट्रीफ्यूज को बदल देगा.
सेंट्रीफ्यूज वो मशीन होती है जिसमें यूरोनियम का संवर्धन किया जाता है जिसे बाद में परमाणु ऊर्जा बनाने के काम में लाया जाता है. अधिक उन्नत सेंट्रीफ्यूज के ज़रिए परमाणु बम भी बनाए जा सकते हैं.
ईरान को कितना नुकसान हुआ है?
ईरान ने शुरूआत में कहा था कि सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचा है लेकिन अतिरिक्त जानकारी नहीं दी थी.अब सरकारी टीवी चैनल पर बोलते हुए ज़कानी ने बताया है कि परमाणु संयंत्र को भारी नुकसान पहुंचा हैं.उन्होंने सवाल किया, 'क्या ये सामान्य बात है कि वो हमारे बिजली सिस्टम में घुस जाते हं और एक ही बार में कई हज़ार सेंट्रीफ्यूज को या तो बर्बाद कर देते हैं या नुकसान पहुंचाते है?'
'क्या हमें रविवार को हुई घटना पर संवेदनशील नहीं होना चाहिए जिसने हमारे संवर्धन की क्षमता को ही नष्ट कर दिया है?'
वहीं अमेरिकी ख़ुफ़िया अधिकारियों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया है कि नाभिकीय संयंत्र पर एक बड़ा धमाका हुआ. इससे भूमिगत संयंत्र के भीतर स्थापित सेंट्रीफ़्यूज़ों को बिजली पहुँचाने वाला पावर सिस्टम पूरी तरह बर्बाद हो गया। उनका अनुमान है कि इस धमाके के बाद वहां फिर से यूरेनियम का संवर्द्धन शुरू होने में कम से कम नौ महीने लग जाएंगे।
इसराइली जहाज़ पर हमला
इसी बीच इसराइली और अरब मीडिया में आई रिपोर्टों में कहा गया है कि संयुक्त अरब अमीरात के पास हुए एक हमले में एक इसराइली पोत को नुकसान पहुंचा हैं. हालांकि इस हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं हैं। एक अधिकारी ने इसराइले के चैनल 12 टीवी को बताया है कि इस हमले के पीछे ईरान है. यदि इसकी पुष्टि होती है तो ये दोनों देशों के जहाज़ों पर हुए हमलों और जवाबी हमलों की श्रंखला में एक और हमला होगा.
इसराइल ने दी थी धमकी
हाल ही में इसराइल ने ईरान को चेताया था कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को दोबारा न शुरू करे. इसराइल बार-बार कहता रहा है कि वह ईरान को परमाणु शक्ति हासिल नहीं करने देगा। ईरान ने रविवार को हुए हमले से एक दिन पहले ही नतांज परमाणु केंद्र पर उच्च गुणवत्ता के सेंट्रीफ्यूज़ शुरू किए थे. ये सेंट्रीफ्यूज़ साल 2015 के समझौते के तहत प्रतिबंधित थे। ईरान और विश्व के छह शक्तशाली देशों के बीच साल 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर समझौता हुआ था. अमेरिका राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया था.
ईरान ने फिर से उच्च गुणवत्ता का यूरेनियम संवर्धन शुरू कर दिया था. ईरान का कहना है कि वह उच्च गुणवत्ता वाले यूरेनियम का संवर्द्धन तभी बंद करेगा जब उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध ख़त्म कर दिए जाएंगे.
पिछले साल इसी परमाणु केंद्र में लगी थी आग
पिछले साल जुलाई में ईरान के इसी भूमिगत परमाणु केंद्र में आग लग गई थी. ईरानी अधिकारियों ने इसे साइबर हमले का नतीजा बताया था। ईरानी परमाणु केंद्र को ऐसे वक़्त में निशाना बनाया गया है जब अमेरिका के मौजूदा बाइडन प्रशासन की ओर से 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. इसके लिए पिछले हफ़्ते वियना में बातचीत भी हुई।
ईरान के यूरेनियम संवर्धन से चिंतित हैं- अमेरिका
अमेरिका का कहना है कि वह ईरान के अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते का उल्लंघन करके यूरेनियम को परमाणु हथियार बनाने के स्तर तक संवर्धित करने को लेकर चिंतित है। ईरान का कहना है कि वो यूरेनियम को 60 प्रतिशत तक संवर्धित करेगा. ये हथियार बनाने लायक यूरेनियम से 30 प्रतिशत नीचे होगा।अमेरिका ने ईरान के इस क़दम को उकसाने वाला बताते हुए कहा है कि वो ईरान के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता जारी रखेगा.