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ट्रेन दुर्घटना में कटे दोनो पैर घायल को 13 घंटे बाद मयस्सर हुई एंबुलेंस-- जिला स्वास्थ्य विभाग अंधा,बहरा,गूंगा और कितना असंवेदनशील और नकारा

 

न्यूज़रूम समाचार नैनपुर-- नैनपुर के ग्राम जेवनारा  में 12 मई की दरमियानी रात को करीब 12  बजे जेवनारा नैनपुर निवासी आकाश कुमरे के दोनों पैर ट्रेन के सामने आ जाने से हुई घटना में कट गए थे। जिसे तत्काल परिजन और ग्रामवासी के सहायता से रात के 12 बजे नैनपुर अस्पताल पहुंचाया गया था। वहां पर स्थिति गंभीर देखते हुए पीड़ित को तत्काल मंडला जिला अस्पताल पहुंचाया गया। लगभग 4 बजे मंडला जिला अस्पताल पहुंचने के बाद गंभीर अवस्था में उसे भर्ती कराया गया। लेकिन अधिक रक्त स्त्राव होने के कारण पीड़ित की हालत बिगड़ती ही जा रही थी। वहीं परिजनों का हाल रो-रोकर बुरा हो रहा था। अत्यंत गरीब परिस्थिति का होने के कारण पीड़ित एवं परिजनों ने जिला प्रशासन से अनुरोध किया और तत्काल पीड़ित की हालत में सुधार के लिए सिविल सर्जन से लेकर तमाम स्वास्थ्य अधिकारियों से पीड़ित परिवार ने निवेदन किया। वही समय बीते जा रहा था और घायल की हालत लगातार गंभीर हो रही थी। उसके बाद भी कोई इलाज सही तरीके से जिला अस्पताल मंडला में नहीं हो पा रहा था। वही डॉक्टर भी पूरी तरह से हाथ उठा चुके थे। फिर मंडला से रिफर का खेल चालू हुआ। परंतु जिला चिकित्सालय में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी। इस समस्या को देखते हुए  पीड़ित परिजनों ने मंडला स्वास्थ्य व अन्य अधिकारी और समाजसेवियों से सहयोग के लिए बार-बार निवेदन किया। लेकिन अंधा बहरा गूंगा प्रशासन पीड़ित की दुर्दशा पर उतारू था। वही मंडला जिला चिकित्सालय में एंबुलेंस उपलब्ध ना हो पाने के कारण पीड़ित की हालत खराब होती जा रही थी। अत्यंत गरीब होने के बाद घायल के पास किसी प्रकार के आर्थिक सुविधा ना होने के कारण शासकीय सुविधा के लिए अधिकारियों से बार बार एंबुलेंस के लिए आग्रह किया जा रहा था। वही गरीब के पास आयुष्मान कार्ड एवं गरीबी रेखा के कागजात नहीं थे। समाजसेवी नैनपुर के सत्यनारायण खंडेलवाल को पीड़िता की मां ने बार-बार दूरभाष पर निवेदन किया तो उन्होंने कलेक्टर महोदया से चर्चा कर जल्दी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निवेदन किया। एंबुलेंस के लिए कलेक्टर मैडम एवं निवास विधायक अशोक मर्सकोले को इस बात के संज्ञान में आते ही उन्होंने तत्काल घुघरी से एंबुलेंस बुलाकर पीड़ित को जबलपुर पहुंचाया। लेकिन तब तक दोनों पैर कटे होने के कारण और रक्त बह जाने के कारण घायल की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। समाचार लिखे जाने तक उसकी हालत स्थिर एवं गंभीर बनी हुई है। लेकिन नकारा और संवेदनहीन जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा जीवन मौत से संघर्ष करते हुए पीड़िता के लिए किसी प्रकार की कोई सहयोग ना कर अनदेखा किया जाना मंडला जिले के लिए बड़े दुर्भाग्य की बात है। लगातार प्रशासनिक वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने के बाद भी उक्त पीड़ित को 13 घंटे बाद एंबुलेंस उपलब्ध होना और वह भी गंभीर घायल पीड़ित व्यक्ति को यह मंडला जिले की लचर व्यवस्था की पोल खोलती है। नगर समाजसेवी सत्यनारायण खंडेलवाल ने नैनपुर एसडीएम , मंडला विधायक देवसिंह सैयाम और जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से चर्चा कर पीड़ित को आर्थिक राहत देने की बात कही है। लगता है जैसे कि जिले के प्रशासनिक अधिकारियों का जमीर पूरी तरह से मर गया है। और किसी तरीके से वह अपनी नौकरी कर ड्यूटी पूरी कर रहे हैं आखिर ऐसी परिस्थितियों का जिम्मेदार कौन होगा। एक ओर जहां सरकार गरीब कमजोर शोषित पीड़ित वर्ग के लिए नई नई योजना को बनाकर क्रियान्वयन कर समाज और व्यक्ति के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वही ऐसे अधिकारी जो गैर जिम्मेदाराना तरीके से असंवेदनशील होकर योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। जिनके दिल में किसी प्रकार की संवेदना रहम और दया नहीं है या उनकी संवेदना खत्म हो चुकी है। न्यूजरूम टीवी जिला कलेक्टर मैडम से भी निवेदन करता है कि पीड़ित परिवार को रेडक्रास के माध्यम से आर्थिक और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराकर उसके जीवन को बचाने की कोशिश की जाए।

 

नैनपुर से  अनिल जांगड़े की रिपोर्ट

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