नारायणगंज- मणिपुर में हुए दर्दनाक घटना को लेकर पूरे आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है उक्त मामले को लेकर महामहिम राष्ट्रपति महामहिम राज्यपाल मणिपुर के नाम आदिवासी समाज ने सौंपा तहसीलदार को ज्ञापन । ज्ञापन पत्र में बताया गया कि विगत 2 माह से मणिपुर में हिंसा होते हुए हो गया। इस हिंसा में आधिकारिक मीडिया आंकड़ों के अनुसार अभी तक आदिवासी समाज के 160 से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुका,419 घायल की संख्या सार्वजनिक की गई है जिसमें बड़े बुजुर्ग महिला बच्चे शामिल हैं। वहीं दो आदिवासी युवतियों के साथ गैंगरेप हुआ है और दो अन्य महिलाओं को नग्न अवस्था में सार्वजनिक परेड करवाकर उनके गुप्तांगों से छेड़छाड़ करने जैसे देश को शर्मसार करने वाले वीडियो प्रकाश में आया हैं । हिंसा करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा दी जाए साथ ही मणिपुर सरकार को शीघ्र बर्खास्त किया जाए और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की गई है। घटना का वीडियो बेहद अशहनीय है।और स्थानीय शासन प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। वहां की बदहाल कानून व्यवस्था सरकार की निरंकुशता को दर्शाता है क्योंकि आरोपीयों के वीडियो वायरल होने के बाद स्वयं माननीय सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई, देश के माननीय प्रधानमंत्री सहित संपूर्ण जिम्मेदारों ने सख्त कदम उठाने की बात कहने पर एकमात्र आरोपी को गिरफ्तारी की जाती है। जबकि यह अमानवीय कृत्य 2 माह पूर्व का है। इससे साबित होता है कि शासन स्तर पर भी इस हेतु कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। सर्व आदिवासी समाज माननीय राष्ट्रपति व राज्यपाल से विशेष निवेदन किया गया है चूंकि आप देश के सर्वोच्च पद पर बैठे हैं साथ ही आदिवासी समुदाय से है इसलिए आपकी जिम्मेदारी दुगनी हो जाती है संविधान की पांचवी व छठवीं अनुसूची आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी आबादी के हितों की रक्षा करता है पांचवी अनुसूची क्षेत्र के आदिवासियों के हितों संबंधी रक्षा हेतु राज्य की राज्यपाल के पास विशेष संवैधानिक शक्तियां व जिम्मेदारियां होती है जिम्मेदारी में राज्य सरकार के लिए विधायिका के कृत्य के प्रभाव को प्रतिबंधित करने के आदेश जारी करना भी शामिल है जबकि छठी अनुसूची में स्वशासन है जनजाति समुदाय को अपनी स्थितियों पर नियंत्रण दिया गया है जिसमें कानून बनाने सामाजिक ढांचागत विकास संबंधी केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने की स्वायत्तता भी शामिल है। तमाम प्राप्त अधिकारों के बावजूद आज भी देश में आदिवासी वर्ग हासिए पर क्यों, और हमेशा शोषण का शिकार हो रहा है। देश प्रदेश में लगातार बढ़ते आदिवासियों पर अत्याचार शोषण बलात्कार हत्याकांड आदि से प्रताड़ित होकर आदिवासियों में आक्रोश व्याप्त है। त्वरित कार्यवाही करने का अनुरोध करते हुए कहा कि कार्यवाही ना होने की दशा में आदिवासियों द्वारा विभिन्न सामाजिक संगठनों के बैनर तले आह्वान कर संपूर्ण भारत बंद कर आंदोलन करने पर मजबूर होगा जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की रहेगी।
इस दौरान उपस्थित रहे
कलीराम मर्रापा सरपंच, ताहर सिंह मरावी पूर्व सरपंच,बबलू परते सदस्य जनपद पंचायत, अखिलेश मरावी सरपंच,सतीलाल सोयाम सरपंच,राकेश धुर्वे सरपंच,कृपाल कुशराम,रेवत सिंह मरावी,जगदीश परस्ते,सुमेरी वरकड़े,दयाल परते,धर्मेंद्र मसराम,हृदय वयाम, छत्रपाल मरावी,इमरत लाल धुर्वे,तिवारी मरावी,सहित बड़े संख्या में सामाजिक जन रहे उपस्थित।