डोंगर मंडला मैं बीएसएनएल बना शोभा की वस्तु- दूसरे नेटवर्क कंपनियों से बहुत पीछे- जनता हो रही है परेशान
न्यूज़रूम--डोंगर मंडला में बीएसएनएल सफेद हाथी के समान हो गया है। विभाग के पास उपकरण ही नहीं है । उपकरण के अभाव में उपभोक्ताओं को नेटवर्क नहीं मिल पा रहे हैं और वे कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।इसे उच्च अधिकारियों की लापरवाही कहें या निचले स्तर के अधिकारियों हीलाहवाली। जो भी हो अब लोगों का रूझान बीएसएनएल सेवा की तरफ कम होने होने लगा है। अब निजी कंपनियां ज्यादा सुविधाएं मुहैया करा रही हैं, जिससे लोग अब बीएसएनएल छोड़ निजी कंपनियों से जुड़ने लगे हैं। हालांकि बीएसएनल अधिकारी ये दावा करते नहीं थकते कि प्राइवेट टेलीकॉम ऑपरेटर्स के मुक़ाबले बीएसएनएल पर कर्ज़ "चिल्लर जैसा" है. डोंगर मंडला स्थित बीएसएनएल पर हालात ये हैं कि 6 महीनों से बंद पड़ा है। प्रतिदिन कई लोग का ऑनलाइन कार्य नहीं हो रहा है। जब इस बारे में कर्मचारियों से बात करते हैं तो आ रहे की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।आए दिन बीएसएनएल सेवाएं ठप हो जाती है लेकिन अधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिसके चलते उपभोक्ताओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है। BSNLअधिकारी फोन नहीं उठाते
जियो का आगमन
बाज़ार में रिलायंस जियो का आना एक गेम चेंजर था जिससे बाज़ार की सभी टेलिकॉम कंपनियों पर भी असर पड़ा.जहां बीएसएनएल का एक वर्ग अपनी हालत के लिए जियो को ज़िम्मेदार ठहराता है, एक दूसरे वर्ग इससे सहमत नहीं.बीएसएनएल कर्मचारी बीएसएनएल की आथिक स्थिति के लिए जियो की प्राइसिंग स्ट्रैटजी और नीतिकर्तांओं पर कंपनी के कथित प्रभाव को ज़िम्मेदार ठहराते हैं जिस कारण एअरसेल, टाटा टेलिसर्विसेज़, रिलायंस इन्फ़ोकॉम, टेलिनॉर जैसी मध्यम या छोटी टेलिकॉम कंपनियां बंद हो गईं.
BSNL:उधर “बीएसएनएल और एमटीएनएल को जियो से कोई चुनौती नहीं मिली. जब जियो ने अपने सेवाएं शुरू की, उनकी हालत पहले ही खराब थी. कई लोग जियो को बहाने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं.”एक पूर्व बीएसएनएल अधिकारी के मुताबिक जियो ने अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए बड़ी रक़म लगाई है तो किसने दूसरी कंपनियों को इतने बड़े निवेश से रोका है.