पुराने समय मे बनाए गए मंदिर
आर्किटेक्चर की दृस्टि से महत्वपूर्ण और आज के विज्ञान के लिए रहस्य है पुराने समय मे बनाये गए मंदिर आज भी मौजूद है जो आधुनिक विज्ञान तथा तकनीक के लिए रहस्य तथा चकमा देने वाले है ऐसा कहा जाता है की इस प्रकार के मंदिरो का निर्माण उस समय के लोगो द्वारा किया जाना संभव ही नही था
तो इनका निर्माण किस प्रकार किया गया यह आज भी रहस्य है और केवल अनुमान योग्य है
आज के आर्टिकल मे हम इन मंदिरो के बारे जानिगे जो आज हमारी कल्पना और कुशलता से परे है और प्राचीन आर्किटेक्चर का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है |
1 होयसलेश्वर मंदिर - सॉफ्टस्टोन से बना है अपनी तरह का अनोखा तथा स्थापत्य कला का सर्वश्रेष्ट उदहारण है | भगवान शिव का यह मंदिर सॉफ्टस्टोन से बना है जो इसे समय के साथ मुजबूती देता है इसमें शिव जी की मूर्ति के ऊपर 1 इंच की मानवनिर्मित खोपड़ी है जिसे इस प्रकार खाखोला गया है की उससे आने वाली रोशनी आँखों के सुराख़ से होती हुई मुँह मे जाकर कानो से बाहर लोट जाती है सबसे आश्चर्य की बात यह की यह मंदिर 12 प्लेटफार्म के ऊपर बना है जिसे जोड़ने के लिए किसे भी प्रकार का चुना या सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया इसमें इंटरलोकिंग तकनीक का उपयोग किया गया है जो इसे समय के साथ और मजबूत बनता है इसमें गोलाकार पिलर है जिन्हे हाथ से बनाना नामुमकिन है ऐसा कहा जाता है इसका निर्माण मानव द्वारा नहीं किया गया है इसके निर्माण की तकनीक आज भी रहस्य है 2 बृहदीश्वर मंदिर- आर्किटेक्चर के दृस्टि से यह दूसरा सबसे अच्छा उदहारण है यह मंदिर 66 मीटर ऊंचा है यह मंदिर 13 मंजिल का है जिसके ऊपर 88 मीटर टन पत्थर का गुमबाद है जिसके ऊपर 12 मीटर का स्वर्ण कलश है ऐसा कहा जाता इसके परछाई जमीन पर नहीं पडती है हलाकि इस बात की पुष्टि नहीं है सबसे आश्चर्य की बात यहाँ की उसके गुमबड़ मे इतने भारी पत्थर को इतने ऊचाई पर कैसे ले जाया गया होगा यह भी रहस्य है |
इन मंदिर के किस भी पत्थरो को जोड़ने के लिए सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है बल्कि इसमें पथरो को पजल सिस्टम के द्वारा जोड़ा गया है जिन्हे अलग करना मुश्किल है
3 बादामी गुफा मंदिर - कर्नाटक के उत्तरी भाग मे बगलकोट जिले मे स्थित यह मंदिर वर्त्तमान समय मे आज की तकनीक के लिए अजूबा है इसका निर्माण 8 सदी मे चलुक्य वंश द्वारा किया गया इसका निर्माण ग्रेफाइट की चट्टानों को काट कर बनाया गया है यह सोचने वाली बात है इस मंदिर के 100मीटर के दायरे मे ग्रेफाइट के पत्थर नहीं है इन पत्थर को कैसे काटा गया होगा इसका यह अनुमान है की पत्थरो मे छेद करके लकड़ी की रोप डालकर समय समय मे पानी डाली जाता था जो फूल जाती थी इस प्रकार चट्टानों को काटकर आकर दिया गया होगा
4 खुजराहो का मंदिर - मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले मे स्थित इस मंदिर को 1986 मे UNESCO की विश्व धरोहर मे शामिल किया गया है भगवान शिव का यह मंदिर ग्रेनाइट के प्लेटफार्म पर सेट स्टोन पथरो के ऊपर बना है 109 फिट ऊचाई वाला तथा 66 फिट चौड़ा यह मंदिर केवल गुरुत्वाकर्षण और संतुलन के सहारे खड़ा है इनमे एक हजार से भी ज्यादा मूर्ति हैँ जिन्हे बारीके से तराशा गया है यह अपने आप मे पूरी दुनिया मे अनोखा है
5 - कैलाश मन्दिर - महराष्ट्र के औरंगाबाद जिले मे स्थित अजनता अलौरा की गुफा नंबर 16 मे स्थित है इसकी खासियत यह कि इसका निर्माण मे किसी भी पत्थर को एक दूसरे से जोड़कर नहीं किया गया है बल्कि एक पहाड़ को ऊपर से निचे काटकर किया गया है विज्ञानिको की लिए यह आज भी इसका निर्माण रहस्य है कि इसमें पहाड़ को ऊपर से निचे क्यों काटा गया है इसमें पानी संग्रह की लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है पुरातत्त्व विभाग द्वारा इसके अंदर एक शहर दबा होने का अनुमान हैं इस मन्दिर मे जल संग्रह की लिए गड्ढे इतने तंग तथा गहरे कि जिनका निर्माण आज कि तकनीक द्वारा किया जाना मुश्किल है
इन मन्दिर कि जटिल संरचना आज आज भी विज्ञान के लिए रहस्य और अनुमान योग्य है