मध्य प्रदेश के नेशनल पार्कओं में हो रही बाघों की गणना में इस वर्ष भी मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट के रूप में रहेगा बरकरार
जबलपुर-- महाकोशल- विंध्य के चार राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़, कान्हा, पेंच और संजय दुबरी में हो रही बाघ गणना में अधिकांश बीटों में बाघों की मौजूदगी के निशान मिले हैं। बांधवगढ़ में 139, पेंच में 109, कान्हा में 169 और संजय दुबरी में 55 बीटों पर बाघों के पदचिन्ह मिले हैं। इससे संभावना जताई जा रही है कि 2022 में भी मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रख सकता है।
2018 में प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था, उस समय मध्य प्रदेश में 526 बाघ मिले थे। कर्नाटक (524) दूसरे नंबर पर और उत्तराखंड (442) बाघ के साथ तीसरे नंबर पर था।
उमरिया: बांधवगढ़ की 139 बीटों पर मिले बाघों के पदचिन्ह
उमरिया जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में 139 बीटों पर बाघों के निशान मिले हैं, 129 बीट में तेंदुए भी हैं। नवंबर में गणना में 99 बीट में से 15 से ज्यादा में बाघों की उपस्थित पाई गई थी। फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ बीएस अन्नाागिरी ने बताया कि इस बार उमरिया जिले में बाघों की संख्या एक सौ पचास से ज्यादा हो सकती है। अभी बफरजोन में गणना होना शेष है। सिवनी: पेंच की 109 बीटों में बाघ, 104 बीटों में मिले तेंदुए के साक्ष्य
पेंच राष्ट्रीय उद्यान में 5 से 7 जनवरी तक वन्य प्रणियों की गणना हुई। पेंच राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर अशोक कुमार मिश्रा ने बताया है कि पार्क की सभी 109 बीटों में बाघ व 104 बीटों में तेंदुआ के साक्ष्य मिले हैं। पिछली गणना में यहां 65 बाघ पाए गए थे। इस बार बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
मंडला: कान्हा में बढ़ सकती है बाघों की संख्या
मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व में 182 बीटों में गणना की गई। जिसमें 169 बीट में बाघ की उपस्थिति के सक्ष्य मिले हैं। 176 स्थानों में तेंदुआ की उपस्थिति के साक्ष्य मिले हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि गत गणना से अधिक बाघ के साक्ष्य मिलने से इस बार बाघ व तेंदुआ की संख्या बढ़ने की उम्मीद भी बन गई है।
सीधी: संजय टाइगर रिजर्व में 55 बीटों पर मिले बाघ के निशान
संजय टाइगर रिजर्व की 124 में से 55 बीट में बाघ का कब्जा है। 103 बीट में तेंदुआ के पदचिन्ह मिले हैं। जिसकी पुष्टि संजय टाइगर रिजर्व के सीसीएफ वायपी सिंह ने की है।
मोबाइल ऐप का इस्तेमाल
प्रदेश में पहली बार बाघों की गणना में एम स्ट्राइब मोबाइल ऐप के जरिए की गई है। बाघों की गणना सबंधी सूचना साफ्टवेयर में उपलब्ध फार्म मंे दर्ज की गई है, जिससे परिणाम स्पष्ट आएंगे। परंपरागत तरीकों के अलावा बाघ संभावित क्षेत्रों में दो किमी की ग्रिड बना कर 25-25 दिनों के लिए ट्रैप कैमरे स्थापित किए गए हैं जिसमें जानवरों के चित्र भी आ सकेंगे।
जुलाई में रिजल्ट
चार साल में होने वाली वन्य प्राणियों की इस गणना के परिणाम इसी साल जुलाई में बाघ दिवस (29जुलाई) को घोषित किए जाएंगे। इस पूरी कवायद के दौरान जो भी फोटो व जानकारी सामने आई उसे संकलित कर वन्य जीव संस्थान देहरादून भेजा जा रहा है। देहरादून पहुंचने के बाद डाटा का वैज्ञानिक तरीके से परीक्षण किया जाएगा, इसके बाद गणना के आंकड़े जारी किए जाएंगे।