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*नारी शक्ति एक नई पहल संस्था मंडला के मेन टीम मेम्बर प्रशांत पटैल ने  आम जनों से किया विनम्र निवेदन*

 

*सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग  बंद करके पर्यावरण प्रदूषित होने से बचाये*

      प्लास्टिक के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले रसायन शरीर के लिए विषाक्त और हानिकारक है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से सीसा, कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं। ये जहरीले पदार्थ कैंसर, जन्मजात विकलांगता, इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते है।

*पॉलीथिन से नुकसान*

> यह कभी नष्ट नहीं होती।

 

> मवेशियों की जान को खतरा।

 

> पर्यावरण को नुकसान।

 

> नालियां चोक होती हैं।

 

> पेय या खाद्य पदार्थ पॉलीथिन में रखने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।पॉलीथिन और डिस्पोजल का उपयोग जारी है। 40 माइक्रोन से कम की पॉलीथिन के उपयोग को प्रदूषण बोर्ड ने पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया है।

*प्लास्टिक से पर्यावरण को  नुकसान पहुंचता है।*

जब प्लास्टिक बैगों को इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है, तो यह पर्यावरण के लिये गंभीर संकट बन जाता है। यह भूमि को प्रदूषित करने के साथ ही पेड़-पौधों और फसलों के वृद्धि व उत्पादन को भी प्रभावित करता है। इसके द्वारा जंगली पौधे और खेती की फसल दोनों ही प्रभावित होते हैं।

*जल प्रदूषण का कारण बना प्लास्टिक*

प्लास्टिक आज जल प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा है, इसकी वजह इस पर बढ़ती हमारी निर्भरता है। जैसे पानी पीने की बोतल, प्लास्टिक के चम्मच, टूथब्रश, थाली, कप, गिलास, बैग आदि। एक समय इनमें से अनेक वस्तुएं प्लास्टिक की नहीं होती थीं। दरअसल सहूलियत के कारण प्लास्टिक का अधिक उपयोग बढ़ा है। आज तमाम वस्तुओं की पैकिंग के लिए भी प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। यहां तक कि बच्चों के खेलने के लिए भी प्लास्टिक के खिलौने बनाए जाने लगे हैं।

 

*जलाने से और ज्यादा फैलता है प्रदूषण*

 

प्लास्टिक की विघटन प्रक्रिया में 400 से ज्यादा साल लग जाते हैं। इस दौरान वे जहरीली गैसें छोड़ते रहते हैं, जिसके कारण भूमि बंजर हो जाती है। प्लास्टिक के कचरे को सही तरह निस्तारित करने के बजाय कई लोग उसे जला देते हैं। लोग समझते हैं कि जलाने से उसे नष्ट किया जा सकता है और प्रदूषण से भी बचा जा सकता है, लेकिन होता बिल्कुल उलट है। जब प्लास्टिक बनाया जाता है तो उसमें बहुत सारे घातक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। जब उसे जलाया जाता है तो ये सारे रसायन हवा में फैल जाते हैं और वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।

 

*पूरा जीवन प्लास्टिक से घिरा हुआ*

 

प्लास्टिक को जलाए जाने के कारण जो धुआं उत्पन्न होता है उसमें ज्यादा देर तक सांस ली जाए तो कई बीमारियां हो सकती हैं। चूंकि प्लास्टिक का उपयोग दैनिक जीवन में खूब होने लगा है इसलिए लोगों पर उसका दुष्प्रभाव भी बढ़ रहा है। कहा जाता है कि मानव अपने पूरे जीवन में सबसे ज्यादा प्लास्टिक से ही घिरा रहता है और उसी का सबसे ज्यादा उपयोग करता है। लोगों को दैनिक जीवन में जिन वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है उन सभी में प्लास्टिक जहर घोल देता है। इसके चलते अनेक भयंकर बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं।

*प्लास्टिक वस्तुओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए*

 

यह अच्छी बात है कि प्लास्टिक के दुष्प्रभाव का प्रचार-प्रसार शुरू हो गया है, लेकिन आवश्यकता इसकी है कि प्लास्टिक की उन वस्तुओं के विकल्प तलाशे जाएं जिनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है। कुछ वस्तुओं के विकल्प तो उपलब्ध हैं या फिर आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन प्लास्टिक की सभी वस्तुओं का विकल्प खोजने में समय लग सकता है। जब तक ऐसा नहीं होता तब तक आम लोगों को यथासंभव प्लास्टिक की वस्तुओं के इस्तेमाल से बचना चाहिए। प्लास्टिक के नुकसान से छात्रों को भी परिचित कराया जाना चाहिए ताकि वे बचपन से ही प्लास्टिक दुष्प्रभाव के बारे में जानें।

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prashant_patel


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